मूल साधना पथ : एक साधक की यात्रा

मूल साधना मार्ग क्या है ?

यह कोई नया-नया मेरे या किसी अन्य के द्वारा सृजित कोई नया साधना मार्ग नहीं हैं।

बल्कि साधना का वह मार्ग है जो मौलिकता पर, सत्यता पर, गहनता पर, वास्तविकता पर, गुरु परंपरा पर, अनुभवों पर, आधारित हो…

जिसमें किसी भी साधना में किसी अति कृत्रिम (मानव निर्मित) सामग्री की आवश्यकता न के बराबर हो या फिर हो ही नहीं…

जो पाखंड, आडम्बर से मुक्त हो, जो अनावश्यक व्यापारीकरण निहितार्थ बांडों से मुक्त हो, अनावश्यक कीलकों, बंधो और त्रुटियों से मुक्त हो…

उदाहरणार्थ पंच महादेवों एवं उनके विभिन्न स्वरूपों की मौलिक साधनाएं…

इसलिए यदि मैंने कहा तीन घंटे या 70 माला जप के लिए तो वो किसी विशेष मंत्र के संदर्भ में बात नहीं था

बल्कि जिसकी व्यक्तिगत जैसी आवश्यकता उसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त जो है उसका ही जप करें…

पहले खुद को सुखी गृहस्थ बनाने पर फोकस करें । परकाया प्रवेश और जल-वायु गमन के विषय में बाद में विचार करें…

क्योंकि अगर आप स्वयं से और अपने रक्त संबंधों से सुखी नहीं तो बेहतर है 2 रुपया देकर ही नदी पार कर लिया जाए…

मैं किसी विषय का अवमूल्यन नहीं कर रहा किन्तु जिन्हें शुद्ध से चलने का भी ज्ञान नहीं उनके द्वारा हवा में छलांग लगाने के स्वप्न पूर्णतः निषिद्ध है हानिकारक भी सिद्ध हो जाते हैं कभी…

असफलताएं

आपकी असफलताएं आपके सम्मान का अवमूल्यन भी साथ साथ ही करती  हैं।

और गुरु देव के अनुसार असफलता का मौलिक कारण समय का सदुपयोग नहीं कर पाना ही है।

टाइम को पास करने वालों को टाइम भी कई बार पास कर देता है।

अतः यह आवश्यक है की जीवन में समय के साथ साथ प्रत्येक सफलता को प्राप्त किया जाए।

जो सहज नहीं हो उन हेतु मूल साधना पथ का प्रयोग किया जाए ।

यही सार्थकता है साधना मार्ग की…

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