गुरु और पात्रता
गुरु तो सदा सर्वदा एक ही है । और बिन पात्र कुपात्र की चिंता किए वो सरल सहज हृदय से […]
गुरु तो सदा सर्वदा एक ही है । और बिन पात्र कुपात्र की चिंता किए वो सरल सहज हृदय से […]
गुरुत्व वह चेतना है जो हमें इष्ट से जोड़ती हैं। इसलिए सनातन समाज में गुरु को बहुत ही ऊंचा पद
श्रावण का पुण्य काल चल रहा है। एक प्रकार से देखा जाए तो यह पूरा का पूरा महीना ही साधनात्मक
मूल साधना मार्ग क्या है ? यह कोई नया-नया मेरे या किसी अन्य के द्वारा सृजित कोई नया साधना मार्ग
हमारी जन्म कुंडली में कैसा भी दुर्योग हो , कुयोग हो, मारकेश हो ,काल सर्प हो या अन्य कुछ उन
प्रायः लोग साधना मार्ग में आगे बढ़ते-बढ़ते एक-एक साधनाए कर करके एक-एक माला जप नित्य की साधना पूजन में बढ़ाते
मंत्र अपरिमित सामर्थ्य युक्त होते हैं। इनके कार्य करने के स्तर भिन्न भिन्न होते हैं। आपने पढ़ा होगा सुना होगा
सिर्फ साधक के लिए- आपका गुरु कितना श्रेष्ठ है या नहीं इसका निर्णय समाज शिष्य की सफलता के अनुरूप ही
साधना पथ के प्रत्येक पथिक के मन मानस में किसी न किसी साधनात्मक विशिष्टता के प्राप्ति की इच्छा होती ही
जाति का विभेद मनुष्यो से पूर्व पशुओं पक्षियों एवं वनस्पतियों में देखो, विश्लेषण से आपको प्रत्येक जाति की अपनी गुणवत्ता